आप सभी लोग जानते हैं कि सरकार के तरफ से हर पात्र गृहस्थी को 5 किलो राशन मिलता है। लेकिन बहुत सारे कोटेदार हैं जो राशन की चोरी खुलेयाम कर रहे हैं। अगर हम 25 किलो राशन लेकर आते हैं तो घर तोलने पर 22 से 23 किलो होता है। और अगर आपके घर राशन कार्ड में 5 आदमी का नाम है तो 25 किलो की जगह पर 20 किलो ही देते हैं यानि 5 किलो राशन कम देते हैं। सरकारी कोटेदार उन्हीं लोगों को पूरा राशन देते हैं जिनसे उन्हें डर लगता है कि यह आदमी हमारे खिलाफ आवाज उठा सकता है। यह एक गांव की समस्या नहीं है लगभग सभी गांव में ऐसा हो रहा है और कोई भी आवाज उठाने वाला नहीं है। सब लोग डरते हैं कि कौन कोटेदार से पंगा लेने जाए। सरकार तो अपनी जिम्मेदारी निभा कर सभी गरीब लोगों को राशन मुहैया कराती है लेकिन कोटेदार और इनके साथ जो भी मिलीभगत करके सरकारी राशन का चोरी करते हैं भगवान उनका भला करे। एक न एक दिन प्रकृति सब वसूल लेती है।
सरकार ने हर सरकारी कोटेदार को अंगूठा लगाने और बिल प्रिंट करके देने की व्यवस्था की है जबकि कोई भी कोटेदार बिल प्रिंट करके लोगों को नहीं देता है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री इस सरकारी राशन की चोरी में क्या कर सकते हैं। हर कोटेदार की जाकर निगरानी तो करेंगे नहीं। और कोई आवाज भी उठाने वाला नहीं है। चोरी का धंधा तो सदियों से चला आ रहा है और लगता है कि यह सदियों तक चलता रहेगा। सरकार बेहतर से बेहतर व्यवस्था बनाने की कोशिश करती है लेकिन चोर लोग चोरी करने का अलग अलग तरीका अपना लेते हैं। पब्लिक करे तो करे क्या। एक गांव में अगर 1500 राशन कार्ड है तो कोटेदार करीब 10 कुंटल राशन चोरी कर लेता है और इसके ऊपर कोई उंगली उठाने वाला भी नहीं है।
ऐसा नहीं है कि भारत में सब बेईमान कोटेदार हैं। कुछ ईमानदार भी होंगे। जो इमानदारी से लोगों का राशन देते होंगे उनको मेरा प्रणाम है। वह धन्यवाद के पात्र हैं। उनके जीवन में आनंद बरसेगा।
मैं माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि दिए हुए इन समस्याओं पर एक बार जरूर ध्यान दें और उसकी जांच करवाएं ताकि डिजिटल इंडिया होने के बाद भी हमारे देश में इतनी बड़ी मात्रा में जो चोरी हो रही है उसकी रोकथाम हो सके।
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