फिटकरी के क्या-क्या फायदे हैं? Fitkari ke kya-kya fayde hain ? खांसी में फिटकरी के फायदे। Khasi me fitkari ka upyog। फिटकरी के पानी से कुल्ला करने के फायदे। Fitkari ke paani se kulla karne ke fayde। ब्रणरोग में फिटकरी के फायदे। Branrog me fitkari ke fayde।
फिटकरी के गुण और उपयोग (Fitkari ke Gun Aur Upyog)
फिटकरी की भस्म सूजाक, रक्त प्रदर, खासी, पार्श्वमूल, पुरानी खासी, राज्यक्षमा, निमोनिया, रक्त बमन, विष विकार, मूत्रकृक्ष, त्रिदोष, प्रमेह, कोढ़, ब्रणरोग आदि को दूर करती है।
इसकी भस्म रक्तशोधक है। इसके सेवन से रक्त वाहिनी संकुचित हो जाती है। अतः यह बहते हुए रक्त को रोकती है। इसके सेवन से बड़े हुए स्वास-कास के वेग भी कम हो जाते हैं। छाती में कफ जम कर बैठ जाने से खांसी होने पर छाती में दर्द होने लगता है। इस खासी के आधात से फुसफुस खराब हो जाते हैं तथा उनमें भी दर्द होने लगता है। इस कफ को निकालने के लिए फिटकरी भस्म अमृत के समान गुणकारी है। कभी-कभी फुसफुसों ज्यादे कफ संचय हो जाने से फुस्फुस कठोर हो जाते हैं तथा अपने कार्य करने में भी असमर्थ हो जाते हैं, ऐसी अवस्था में भी यह भस्म बहुत उपकार करती है।
कुकर खांसी में भी यह बहुत अधिक काम करता है। कुकर खांसी अक्सर छोटे बच्चों को होता है। इसमें इतने जोर की खासी उठती है कि बच्चे को वमन तक हो जाता है, ऐसी हालत में फिटकरी भस्म एक रत्ती, प्रवाल पिष्टी आधी रत्ती, काकड़सिंगी का चूर्ण 2 रत्ती में मिलाकर मधु के साथ देने से फायदा होता है।
यह भस्म विष नाशक भी है। अतः सभी प्रकार के विषों पर इसका प्रभाव अच्छा होता है। अगर तत्काल काटे हुए सर्प के रोगी को फिटकरी भस्म एक मासे को 4 तोला घी में मिलाकर पिलाने से कुछ देर के विष का वेग आगे ना बढ़ कर रुक जाता है। बिच्छू के विष में भी एक तोला फिटकरी को 5 तोला गर्म पानी मिलाकर रुई के फाहा से काटे हुए स्थान पर इस पानी को बार-बार रखने से बिच्छू का विष दूर हो जाता है।
नेत्र रोग में फिटकरी का उपयोग (Netra Rog Me ka Upyog)
नेत्र रोग के लिए फिटकरी एक अक्सीर चीज है। इसके दो रत्ती चूर्ण को एक तोला गुलाब जल में मिलाकर इस लोशन को आंख में डालते रहने से आंखों की सुर्खी और आंख में कीचड़ आना बंद हो जाता है। आंख के अंदर एक प्रकार का बाल उगता है जिसको 'परबाल' कहते हैं। इस रोग में कच्ची फिटकरी की डली 4 तोला को मिट्टी के बर्तन में रखकर आंच पर चढ़ावें। जब फिटकरी की गल जाए तब उसमें सोना गेरू का चूर्ण एक तोला डालकर लकड़ी से चला कर अच्छी तरह आपस में मिला दें। फिर इसको नीचे उतारकर खरल में घोटकर महीन चूर्ण बना कपड़छन करके रख ले। इसे अंजन की तरह आंख में लगाने से परबाल रोग बहुत शीघ्र दूर हो जाता है। आंखें स्वच्छ हो जाती हैं तथा आंखों में पुनः किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना नहीं रहती है। नेत्र रोग के लिए यह अंजन बहुत ही मुफीद है।
ब्रणरोग रोग में फिटकरी का उपयोग (Branrog me Fitkari ka Upyog)
छुरी, तलवार या कुल्हाड़ी आदि के आधात से अगर कोई घाव हो गया हो और उसमें से खून निकलता हो तो कच्ची फिटकरी को बारीक पीसकर घी के साथ मिलाकर उसको घाव पर रखकर ऊपर से रुई का फाहा रख पट्टी बांधने से खून का बहना तुरंत बंद हो जाता है और घाव बिना पके भर जाता है। फिटकरी के साथ समभाग मुर्दासंग मिलाकर कपड़छन करके ब्रणों पर छिड़कने से घाव भर जाते हैं। यह कीटाणु नाशक होने से सक्रामकता को भी नष्ट करती है। यदि किन्हीं कारणों से मुंह में छाले पड़ गए हो और मसूड़ों में जख्म हो गए हो तो फिटकरी के पानी से कुल्ला करने पर लाभ होता है। मौलश्री छाल के चूर्ण में थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर मंजन करने पर हिलते हुए दांत भी मजबूत हो जाते हैं।
साभार : आयुर्वेद सार संग्रह
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