May 28, 2024

कैसे मांस परोसती है फिल्म इंडस्ट्री

  Digital Dunia       May 28, 2024

आज की फिल्म इंडस्ट्री हीरोइनों के जांघ और मांस पर टिकी है। जब तक हॉट चुम्बन या हॉट छेड़छाड़ न हो फिल्म चलती ही नहीं है। नॉनवेज का जमाना है। उन्हें पता है जबतक नॉनवेज नहीं परोसेंगे फिल्म नहीं चलेगी। आज के फिल्मों में न तो कहानी में कुछ दम होता है और नहीं कलाकार में कुछ ऐसी कला होती है, जिससे लोग खुश हो जाएँ। ले दे के स्त्रियों का टांग और जांघ बचा है बेचने लिए। इसलिए निर्माता निर्देशकों के पैसा कमाने का एकमात्र जरिया एक्ट्रेसों के जिस्म को बेचना रह गया है। पापा के परियों की जिंदगी अब लोगों के मनोरंजन का साधन बन गया है। हमलोग भी कितने नादान हैं, जो 200 और 400 का टिकट खरीदकर सिनेमा घरों से गंदगी उठाकर अपने घर लाते हैं। वही गन्दा संस्कार फिर हमारे घर परिवार को तोड़ने और मरोड़ने का काम करता है। हमारा दिमाग तो कम्प्यूटर की तरह है जैसा डाटा फीड करते हैं वैसा हमारा व्यवहार बन जाता है।


बड़े शौक से कहते हैं कि हम रणवीर कपूर के फैन हैं या करीना कपूर का फैन हैं, और उनकी भेषभूषा भी अपनाने की कोशिश करते हैं। हम ये नहीं सोचते हैं कि ये लोग समाज को क्या दे रहे हैं। ये लोग समाज को नंगापन सीखा रहा हैं। समाज में चरित्रहीनता का पाठ पढ़ा रहे हैं। इन लोगो की निजी जिंदगी देखें तो ये लोग चावल दाल की तरह अपनी बीबियां इस्तेमाल करते हैं। इनका एक ही धर्म है कैसे वेराइएटी – वेराइएटी के भोग भोगे जाएँ। इनके देखा देखी अब दूसरे लोग भी इन्ही के मार्ग पर चल पड़े हैं। उनको लगता है यही जिंदगी है।


एक हीरो एक एक्ट्रेस को कैसे चाटता है और कैसे उसको बाकी अंगों को सहलाता है। यही सब आज के सिनेमा घरों में देखने को मिल रहा है। हम पैसे लगाकर यही सब खरीदकर लाते हैं। जब पापा की परी कोई गलत कदम उठाती है तब पापा को अफ़सोस होता है। जबकि यह सब हमारी ही देन है।

जब भी फिल्म इंडस्ट्रीज के किसी हीरो या हेरोइन को देखें तो एक बार जरूर सोचें कि ये लोग समाज को क्या दे रहे हैं। हमारा ही पैसे पर जीने वाले ये लोग हमें ही बेबकूफ बनाकर हमारी ही जिंदगी ख़राब कर रहे हैं। चुम्बन और आलिंगन करना इनका धंधा है। हम बड़े गर्व से कहते हैं कि ये फलाना हीरो है या हेरोइन है। हम उनका चरित्र नहीं देखते हैं कि ये लोग कर क्या रहे हैं। देश और समाज को चरित्रहीनता का पाठ पढ़ा रहे हैं। अगर ये अभिनेता चाहते तो गन्दी फिल्मो की जगह अच्छी फिल्मे बनाकर हमारे देश की छवि बदल देते। इनको को सिर्फ पैसे से मतलब है।

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