Jul 24, 2024

आन पड़े सो सहना, रे मन मस्त सदा दिल रहना

  Digital Dunia       Jul 24, 2024

गुरुवाणी में आता है कि “ज्ञानी की गति ज्ञानी जाने, ज्ञानी की मती कौन बखाने”  तो ज्ञानी को ज्ञानी ही समझ सकता है। अज्ञानी आदमी ज्ञानी को कभी समझ नहीं सकता, कल्पना जरूर कर सकता है। आम आदमी अपने शरीर में बैठा होता है जबकि ज्ञानी मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और शरीर से परे अपने आत्मानंद में मस्त रहता है। उसे जेल के अंदर रखो या जेल के बाहर रखो कोई फर्क नहीं पड़ता । ज्ञानी आम आदमी की तरह भले दिखाई देता है लेकिन उसकी स्थिति ब्रह्म में होती है। उसके अंदर इच्छा और वासना नहीं रहती, वह अपने पूर्णानंद में हमेशा मस्त रहता है। आम आदमी भले सोचे की आसाराम बापू (Asaram Bapu) जेल में हैं लेकिन ज्ञानी को जेल की दिवार कैद नहीं कर सकती। ज्ञानी सारे बंधनों और दुखों से मुक्त होता है। ज्ञानी दूसरों के लिए तो संकल्प करता है लेकिन अपने लिए कोई संकल्प-विकल्प नहीं करता है।

बड़े दुख की बात है कि एक ऐसे संत को गलत तरीके से फसाकर उसे जेल में डाला गया जो हमेशा देश और समाज का भला सोचते थे। कुछ राजनीतिक लोग अपनी राजनीतिक मंशा को पूरी करने के लिए ऐसे घृणित जाल बुनवाकर जेल के अंदर करवाया। इससे बापूजी को तो कोई नुकसान नहीं है लेकिन उनसे जुड़े हुए जितने भी लोग हैं उन्हें बड़ा दुख है क्योंकि उनके जीवन को संवारने, सुधारने वाला बड़ी मुश्किल से कोई ज्ञानी महापुरुष मिलता है। 

साध्वी प्रज्ञा को भी बम कांड केस में फसाकर करीब 8 साल से अधिक जेल में रखा गया, लेकिन जैसे ही बीजेपी की सरकार बनी उनकी रिहाई हो गयी। लेकिंन आसाराम बापू की रिहाई तो दूर, एक बार भी पेरोल तक नहीं दी गयी। बड़े हैरानी होती है सोच कर कि शहाबुद्दीन जैसे खतरनाक लोग 50 से अधिक केस होने पर भी उनको बेल मिल जाता है और जैसे ही वह नीतीश सरकार के खिलाफ बयान बाजी करता है दूसरे दिन फिर जेल के अंदर हो जाता है। समझ में नहीं आता है कि आखिर न्याय के लिए आदमी कहां गुहार लगाए। 

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि आसाराम बापू कौन सी जेल में है तो बता दें कि बापूजी करीब 8 साल से जोधपुर के सेंट्रल जेल में हैं। उनको गलत तरीके से फंसाकर जेल में डाला गया है। 

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