ज्ञान दो तरह का होता है। एक होता परोक्ष ज्ञान और दूसरा होता है अपरोक्ष ज्ञान। परोक्ष को कहते हैं माना हुआ ज्ञान और अपरोक्ष को कहते हैं जाना हुआ ज्ञान। जिस किसी भी चीज को सुनकर हम मानते हैं वह माना हुआ ज्ञान है। और माना हुआ ज्ञान हमें दुविधा में रखता है लेकिन जाना हुआ ज्ञान हमें उसकी सत्यता से परिचय कराता है। किसी ने कहा यहाँ से 1000 किलोमीटर पर मुंबई है और वहां बहुत बड़ा समुद्र है। हमने सुनकर मान तो लिया लेकिन संसय बना रहेगा कि पता नहीं होगा भी नहीं। लेकिन जब हम वहां जाकर देख लेंगे तो उसकी सच्चाई का हमें पता चल जायेगा। इसे कहते हैं जाना हुआ ज्ञान। ऐसे ही संसार में सारे लोग ईश्वर, गॉड, अल्लाह के बारे में परोक्ष ज्ञान लेकर बैठे हैं। यानि उसके बारे में सुनकर या कहीं से पढ़कर मान बैठे हैं। इसीलिए लोगो को भगवान के बारे में संसय हैं। क्या पता भगवान है भी की नहीं। सच्चाई को जानने के लिए हमें खुद प्रयास करना होगा। हमें उसकी खोज करनी होगी।
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