जो यह कहते हैं कि बस यहीं पर सब कुछ है, परलोक आदि कुछ नहीं है, न यमराज है, न यमदूत है और न स्वर्ग-नर्क आदि है वे वस्तुतः बड़े भ्रम में हैं। शास्त्रों पुराणों में जो परलोक, स्वर्ग, नरक, यमराज, यमदूत आदि की बातें आती हैं वह सब अक्षरशः सत्य है। मेरी आंखों देखी एक सत्य घटना इस प्रकार है :-
सन 1946 की बात है। हमारे पूज्य पिताजी जिनका शुभ नाम श्री रक्खामलजी है। उस समय श्री ननकाना साहब में रहते थे। वही हमारा घर था। हम सब नित्य की भांति रात्रि में सोए हुए थे और हमारे पूज्य पिताजी अपने पलंग पर सोए थे। पिताजी नित्य प्रात काल उठा करते थे, पर दूसरे दिन वे प्रातः काल नही उठे। हमें बड़ी चिंता हुई। हमने जाकर देखा कि पिताजी पलंग पर पड़े हैं। हमने जोर जोर से आवाज दी तो भी वे बोले नहीं। हमने देखा उनका सारा शरीर बिल्कुल मुर्दे जैसा हो रहा था। हम सब बहुत घबराए और उन्हें डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने पिताजी को देख कर कहा कि इन्हें बहुत ही ज्यादा कमजोरी है। उनका सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और वह एकदम पीले पड़ गए थे। कुछ देर पश्चात जब पिताजी को होश हुआ तब उन्होंने बताया कि 5:00 बजे के लगभग 2 यमदूत मुझे लेने आए थे और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम हमारे साथ चलो। मैं उनके साथ में चला गया। दूर जाने पर मैंने देखा कि एक बहुत बड़ा मैदान है, वहां एक मनुष्य बैठा है। उसने दूतों से कहा कि इसे मत लाओ, हमने तुम्हें इसे लाने के लिए नहीं कहा था, वह तो दूसरा रक्खामल अग्रवाल है, वह भी उसी मोहल्ले में रहता है। उसे लाओ और इसे तुरंत वापस छोड़ आओ। वे झट से मुझे यहां पर लाकर छोड़ गए। तब से मेरे शरीर में शक्ति नहीं रही है।
यह बात कहां तक सत्य है, हमने यह जानने के लिए जब अपने मोहल्ले के रक्खामल अग्रवाल का पता लगाया तब ज्ञात हुआ कि रक्खामल अग्रवाल रात को बिल्कुल ही अच्छे थे और अच्छी तरह खा पीकर सोए थे। उनका ठीक सवा 5 बजे प्रातः काल देहांत हो गया। आंखों देखी और अपने घर में घटी सत्य घटना से यह सिद्ध होता है कि यमराज, यम के दूत, स्वर्ग, नरक आदि बिल्कुल सत्य है। हमें अपने जीवन में ऐसा कोई भी पाप कर्म नहीं करना चाहिए जिससे हमें यमराज के यहां जाकर अपने पाप कर्मों के फल स्वरुप नरक की घोर यातनाएं भोगनी पढ़े और यमदूतों की सहनी पड़े। किसी के यह कह देने से कि स्वर्ग, नरक का कोई भय नहीं है – चाहे जो पाप करो काम नहीं चलेगा और अंत में हाथ मल-मलकर पछताना तथा रोना होगा। इसलिए हमें अपने परलोक को कभी भी नहीं बिगाड़ना चाहिए और सदा सर्वदा पापों से बचते रहना चाहिए। इसी में हमारा सच्चा हित है।
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